Lucent Biology Bacteria ( जीवाणु )


                               
                             Bacteria 
* इसकी खोज 1676 ई में हॉलैंड के एंटोनिवाना           ल्यूवेनहांक ने की। 
* जीवाणु विज्ञान का पिता ल्यूवेनहांक को कहा           जाता हैं। 
* एहरेनबर्ग ने 1829ई में इन्हे जीवाणु नाम दिया। 
* 1843–1910ई रॉबर्ट कोच ने कॉलरा तथा तपेदिक     के जीवाणुओं की खोज की तथा रोग का जर्म           सिद्धांत बताया।
* 1812– 1892ई. लुई पाश्चर ने रेबीज का टीका, दूध      के पश्चुराइजेसन को खोज की। 
* आकृति के आधार पर जीवाणु कई प्रकार के होते     है :– 
 1.  छराकार या बैसिलस :– 
      यह छरनुमा या बेलनाकार होता है 
 2. गोलाकार या कोकस :–
     ये गोलाकार एवं सबसे छोटे जीवाणु होते है। 
 3. कोमा–आकार या बिब्रियो :– 
      अंग्रेजी के चिन्ह(,) के आकार के उदाहरण                 बिब्रिया कोलारी आदि। 
 4. सर्पिलाकार :– 
     स्प्रिंग या स्क्रू के आधार के। 
 * दूध को अत्यधिक दिनों तक सुरक्षित रखने के         लिए इसका पश्चिकरण करते है इसमें दो विधियां       होती है :– 
 1. Low Temperature Holding Method :– 
     दूध को 62.8°C पर 30 मिनट तक गरम करते है। 2. High Temperature Short Time Method :– 
    दूध को 71.7°C पर 15 सेकंड तक गरम करते है।
    
 * एनाबिना तथा नास्टॉक नामक साइनोबैक्टीरिया       वायुमंडल की N² का स्थिरीकरण करते है। 
* राईजोबियम तथा ब्रैडीराईजोबियम इत्यादि            जीवाणु की जातियां लैग्यूमिनोसी ( मटर कुल ) के    पौधो की जड़ों में रहती हैं, और वायुमंडलीय N²      का स्थिरीकरण करती है। 
* चर्म उद्योग में चमरे से बालों और वसा हटाने का कार्य जीवाणुओं के द्वारा होता है। इसे चमरा कमाना ( टैनिंग ) कहते है। 
* अचार, मुरब्बे, शरबत को शक्कर की गाढ़ी              चासनी  में या अधिक नमक में रखते हैं ताकि          जीवाणुओं का   संक्रमण होते ही जीवाणुओं का      जीव द्रवकुंचन हो   जाता है तथा जीवाणु नष्ट हो      जाते है, इसलिए   आचार, मुरब्बा, बहुत                  अत्यधिक  दिनों तक सुरक्षित   रहते है। 
* शीत संग्रहागार ( कोल्ड स्टोरेज ) में न्यून ताप (–       10°C से –18°C ) पर सामग्री का संचय करते है।
         

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